आगरा। सिविल सोसायटी ऑफ आगरा पचनदा योजना को जमीनी क्रियान्वयन स्थिति में पहुंचा देना एक अनुकरणी उपलब्धि मानती है। केंद्रीय जल आयोग एवं प्रदेश सरकार की इसे स्वीकृति मिल चुकी है, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने इस योजना को हर दृष्टि से उपयोगी माना है। बैराज बनने पर औरैया, इटावा, कानपुर देहात के अलावा बुंदेलखंड का भी सूखा दूर होगा। इससे कई लाख जोतदारों, किसानों को फायदा मिलेगा।

लाचारी का आंकलन
आगरा के लोग इसका महत्व इसी से समझ सकते हैं कि बैराज के स्थान पर बीयर बनवाये जाने तक में हमारे स्थानीय माननीय थके महसूस कर रहे है, वहीं सेंचुरी प्रोजेक्ट के तहत आने वाली चम्बल नदी इस बैराज प्रोजेक्ट में शामिल है। हम तो पिनाहट और मप्र के उसैद घाट के बीच चंबल नदी पर 90 करोड़ के पुल के लिये भी एनवायरमेंट क्लीयरेंस नहीं ले सके हैं।

पर्वो पर संगम को मिल सकेगा भरपूर पानी
पता नहीं योगी सरकार के मंत्रियों को पता है या नहीं। पंचनदा बैराज जब बनकर पूरी हो जायेगी तो इससे उपलब्ध होने वाले भरपूर पानी से प्रयाग राज में संगम को भी जलकिल्लत से भी हमेशा के लिये छुटकारा मिल जायेगा। दरअसल पर्वो और विशेष नाहन तिथियों पर पंचनदा बांध से अतरिक्त पानी यमुना में छोडा जा सकेगा,जो कि अपने स्वाभाविक बहाव से भी महज 14 घंटे में संगम के दशाश्वमेध और किला घाट की वी आई पी जेटी तक पहुंच जायेगा। जबकि अब तक केवल कानपुर बैराज से ही संगम को अतिरिक्त पानी मिल पाना सहज होता है।

श्री कठैरिया के बारे में चर्चा के दौरान उनके उस प्रयास का उल्लेख करना भी सामायिक ही होगा जो कि उन्होंने इटावा शहर में बंद पड़ी सूत मिल को बेचने के विरोध करते हुए इसे पुनः: सुचारू करवाने को मुद्दा बनाने का प्रयास किया।1967 में यह मिल शुरू हुई थी और सपा शासन में इसे खुर्दबुर्द करने की योजना पर अमल हुआ । वह भी इसे अनदेखा कर कि पचास हजार बुनकरों की आजीविका इसी के सूत पर निर्भर थी। 


अजीतमल तहसील क्षेत्र के सड़रापुर गांव के निकट पांच नदियों का प्रोजेक्ट है पचनदा बैराज

दिबियापुर (औरैया)। तीन वर्षों की मशक्कत के बाद कई दशकों से लंबित पड़ी प्रदेश सरकार की प्राथमिकता वाली लगभग तीन हजार करोड़ की पचनद बैराज परियोजना धरातल पर उतरने को तैयार है। पचनद बैराज की बुंदेलखंड का सूखा समाप्त करने की दिशा में अहम भूमिका होगी। बैराज के लिए केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) एवं प्रदेश सरकार के बीच एम ओ यू साइन हो चुका है। 
सीडब्ल्यूसी की टीम ने पचनद क्षेत्र का सर्वे कर प्रोजेक्ट को ओके कर चुकी है।
वर्ष 2019 में इसके लिए सर्वे शुरू हुआ। कई चरणों में हुए सर्वे एवं आईआईटी से डीपीआर तैयार कराने के बाद पिछले वर्ष 27 सितंबर को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष प्रमुख सचिव सिंचाई, प्रमुख अभियंता सिंचाई, प्रमुख अभियंता परियोजना ने बैराज की तैयार डीपीआर का प्रजेंटेशन किया था।

पचनद बैराज की 3201.70 करोड़ रुपये की डीपीआर सीडब्ल्यूसी के पास निरीक्षण के लिए भेज दी गई थी। अक्टूबर 2021 में केंद्रीय जल आयोग की टीम ने सिंचाई विभाग की टीम के साथ संयुक्त रूप से तकनीकी स्थलीय निरीक्षण किया था। सिंचाई विभाग के अधिकारियों के अनुसार, 29 अगस्त को केंद्रीय जल आयोग एवं प्रदेश सरकार के बीच एमओयू (समझौता) हो गया है। अब सीडब्ल्यूसी की टीम जल्द से जल्द बैराज की डीपीआर तैयार करने के लिए जुटी है।

आठ सितंबर को सीडब्ल्यूसी की टीम में शामिल सुपरिटेंडेंट इंजीनियर अजय कुमार, अधिशासी अभियंता मयंक, असिस्टेंट डायरेक्टर मनपाल सिंह बैराज स्थल का निरीक्षण कर चुके हैं।

अधिशासी अभियंता सिंचाई खंड औरैया पीएस पटेल ने कहा कि 29 अगस्त को केंद्रीय जल आयोग और प्रदेश सरकार के बीच पचनद बैराज को लेकर समझौता (एमओयू) हो चुका है। सीडब्ल्यूसी के अधिकारियों ने भी स्थलीय सर्वे भी कर लिया है। 

फिलहाल 102 करोड़ आवंटित
देश में पांच नदियों यमुना, चंबल, सिंधु, क्वारी, पहुज के इकलौते पवित्र संगम पर प्रस्तावित पचनद बैराज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकता वाली परियोजनाओं में शामिल है। प्रदेश सरकार ने पिछले वित्तीय वर्ष में पचनद बैराज के लिए 102 करोड़ 74 लाख 16 हजार रुपये के बजट का प्रावधान भी किया था। हालांकि तकनीकी कारणों से पचनद बैराज परियोजना पिछले वित्तीय वर्ष में धरातल पर नहीं उतर सकी थी। 

सांसद लोकसभा में भी उठाया था पचनदा बैराज का मुद्दा 

मेरे लोक सभा क्षेत्र इटावा में लोगों को सिंचाई के लिए पानी की समस्याओं का सामना करना पड़ता है । यमुना-चम्बल पचनदा परियोजना के तहत उत्तर प्रदेश सरकार ने लगभग 26 करोड़ की स्वीकृति प्रदान की थी जिसमें भारत सरकार का भी सहयोग था । मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय को अवगत करना चाहता हूँ कि यमुना-चम्बल पचनदा परियोजना पर एक बांध बनाया जाए जिससे कि इटावा, जालौन, कानपुर, औरैया की जनता को कृषि कार्य हेतु सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिल सके और इस परियोजना के माध्यम से बिजली उत्पादन का कार्य भी किया जा सके जिससे मेरे लोक सभा क्षेत्र की जनता और उसके आस-पास के स्थानीय लोगों के लिए पानी और बिजली की समस्या का समाधान किया जा सके । 

यमुना नदी की औसत गहराई 10 फीट (3 मीटर) और अधिकतम गहराई 35 फीट (11 मीटर) तक है। दिल्ली के निकट नदी में, यह अधिकतम गहराई 68 फीट (50 मीटर) है। आगरा में, यह गहराई 3 फुट (1 मीटर) तक हैं।
- Legend News

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