मणिपुर सहित भारत के अन्‍य हिस्‍सों में मानवाधिकार उल्लंघन की कथित घटनाओं का हवाला देते हुए अमेरिकी विदेश विभाग ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है. भारत की तरफ से भी इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया आई. भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से इस रिपोर्ट को पक्षपातपूर्ण करार देते हुए कहा गया कि यह भारत को लेकर उनकी खराब समझ को दर्शाती है और हम इसे कोई महत्व नहीं देते हैं.
अमेरिका सरकार की इस रिपोर्ट में जातीय संघर्ष के फैलने के बाद मणिपुर में मानवाधिकारों के हनन की घटनाओं पर प्रकाश डाला गया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने इस पर कहा, “यह रिपोर्ट बेहद पक्षपातपूर्ण है और भारत को लेकर उनकी खराब समझ को दर्शाती है.” उन्होंने अपनी साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, “हम इसे कोई महत्व नहीं देते हैं और आपसे भी ऐसा करने का आग्रह करते हैं.” रिपोर्ट में ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (BBC) के कार्यालय पर भारतीय इनकम टैक्‍स विभाग द्वारा की गई छापेमारी का भी जिक्र किया गया है. 
रिपोर्ट के भारत खंड में स्थानीय मानवाधिकार संगठनों, अल्पसंख्यक राजनीतिक दलों और प्रभावित समुदायों ने मणिपुर में हिंसा को रोकने और मानवीय सहायता प्रदान करने में देरी के लिए देश की सरकार की आलोचना की. बीबीसी कार्यालयों पर कर छापे का जिक्र करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि इनकम टैक्‍स अधिकारियों की जांच अनियमितताओं से प्रेरित थी. अधिकारियों ने उन पत्रकारों की भी तलाशी ली और उनके उपकरण जब्त किए जो संगठन की वित्तीय प्रक्रियाओं में शामिल नहीं थे. 
2002 के गुजरात दंगों पर बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री का जिक्र करते हुए अमेरिका के विदेश विभाग ने आरोप लगाया, “सरकार ने डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग पर प्रतिबंध लगाने के लिए आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल किया था, मीडिया कंपनियों को वीडियो के लिंक हटाने के लिए मजबूर किया और देखने वाली पार्टियों का आयोजन करने वाले छात्र प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया.”
-Legend News

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