रिपोर्ट : LegendNews
नामागिरी देवी का वो किस्सा, जिसने रामानुजन को बना दिया महान गणितज्ञ
इंग्लैंड में ट्रिनिटी कॉलेज की लाइब्रेरी में एक पुरानी नोटबुक रखी है. यह आज भी पूरी दुनिया के गणितज्ञों की समझ में नहीं आई है. इसमें लिखे फॉर्मूले और ढेरों थ्योरम वे आज भी हल नहीं कर पाए हैं. यह नोटबुक है श्रीनिवास रामानुजन की, जिन्होंने केवल 32 साल के जीवन में दुनिया को ऐसे-ऐसे फॉर्मूले दिए हैं, जिनके जरिए लगातार वैज्ञानिक खोजें की जा रही हैं. गणित से उनको इतना लगाव था कि खाना-पीना भूल जाते थे. यहां तक कि दूसरे विषयों में फेल हो जाते थे.
वह कहते थे कि जब गणित का कोई सवाल वह हल नहीं कर पाते थे तो सपने में देवी नामा गिरी आकर उसे हल कराती हैं. सोते समय वह उनके साथ बैठती हैं. उनका कहना था कि सपने में उन्हें देवी का हाथ दिखता था, जिसमें वो कुछ लिखती थीं और वो सब गणित से जुड़ा होता था. नामगिरी देवी महालक्ष्मी के ही नाम हैं. श्रीनिवास रामानुजन की मां भी नामगिरी देवी की भक्त थीं.
रामानुजन की पुण्यतिथि पर आइए जान लेते हैं इसी से जुड़ा किस्सा.
कई बार नहीं नसीब होता था एक वक्त का खाना
तमिलनाडु के इरोड में 22 दिसंबर 1887 को श्रीनिवास रामानुजन का जन्म हुआ. रामानुजन के पिता कपड़े की एक दुकान पर काम करते थे और उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. मां काफी आस्तिक थीं और मंदिर में भजन गाती थीं. वहां मिलने वाले प्रसाद से ही घर के लोग एक वक्त का भोजन करते थे. दूसरे टाइम के खाने के लिए पिता की कमाई कई बार कम पड़ जाती थी. इसलिए ऐसा भी होता था कि पूरे परिवार को कई बार एक समय का भोजन ही नसीब नहीं होता था.
स्लेट पर हल करते सवाल, फिर कॉपी में लिखते उत्तर
इन सबके बीच रामानुजन बचपन से ही गणित की ओर आकर्षित हो गए और मुश्किल से मुश्किल सवाल हल करने लगे. इस विषय में उनकी असाधारण प्रतिभा सामने आने लगी. समस्या यह थी कि गरीब माता-पिता के पास कॉपियां खरीदने के लिए पैसे नहीं होते थे. इसलिए रामानुजन पहले स्लेट पर सभी सवाल हल करते थे. इसके बाद फाइनल उत्तर कॉपी में लिखते थे, जिससे जल्दी न भरे.
अपनी से बड़ी कक्षा के सवाल भी हल कर डालते
गणित के प्रति उनकी ऐसी दीवानगी थी कि अपनी कक्षा की किताबें कुछ ही दिनों में पढ़ लेते थे. इसके बाद बड़ी कक्षा के बच्चों से किताबें लेकर उनके सवाल हल कर डालते. इससे बड़ी कक्षाओं के बच्चे भी गणित के सवाल हल करने में उनकी मदद मांगने लगे और रामानुजन इसी ज्यादा गणित पढ़ने का मौका मिलने लगा. कहा जाता है कि गणित का कोई भी सवाल वह 100 से भी ज्यादा तरीकों से हल कर लेते थे. इसके चलते उन्होंने अनगिनत प्रमेयों की रचना की. गणित के नए-नए सूत्र दिए.
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